Sunday, December 25, 2011

Merry Christmas n Happy New Year


आप सभी को Christmas व नव वर्ष की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं |
खूब मज़े करें, और खूब पार्टी करें !!
 PS: I have my exams in the 1st week of January.... So m partying n celebrating with books... Won't be blogging or reading your posts for few days.... but will b back soon :) 
Till then keep enjoying n keep writing !!!
~ Jyoti Mishra 



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Tuesday, December 20, 2011

दोष और विकार


 आज की इस आप धापी  भरे जीवन में और हर चीज़ में सबसे आगे रहने की होड़ में हम सब को  परफेक्शन की लत लग चुकी है | गलतियाँ व छोटी छोटी त्रुटियाँ हमें बर्दाश्त नहीं होती | 
एसा क्यों ??  हम ऐसे क्यों बनते जा रहे है ? क्यों हम लोगों की छोटी गलतियों को नज़र अंदाज नहीं कर पाते? आप अपने घर में या आफ़िस में लोगों या कर्मचारियों द्वारा की गयी ज़रा सी भूल का ऐसा तमाशा बनाते है की जैसे कुछ अति भयानक हो गया हो || 
हमारी सहन करने, और माफ़ करने की क्षमता को भगवान जाने क्या हो गया है ?

जिस प्रकार हर लिखा शब्द 
कहानी या गाना नहीं होता 
ठीक उसी प्रकार, 
कुछ काम का  न आना 
कोई पाप, या खोट 
का ठिकाना नहीं होता |

क्यों पड़े हम इस 
सर्वदा-पूर्णता के कुचक्र में |
विशुध्ता, के दुष्चक्र में |
क्यों नहीं  झेल पाते 
हम ज़रा सी गलती को   ?
क्या हो गया हमारी, 
मानवता की  भावना को ?

थोडा सा दोष कुछ 
बुरा नहीं  होता |
एसा इन्सान कोई हैवान नहीं होता |
सब में कोई न कोई दोष |
फिर क्यों ये बवाल 
और कैसा ये रोष ??

चलो उठ जाये ऊपर दोषारोपण और 
दोष की भावनाओं से |
क्यों न थोडा मज़ा ले, 
दोषयुक्त जीवन का |
सुधार नाम की चीज़ भी होती है 
इस दुनिया में, 
कोई भी पूर्ण रूप से परिपूर्ण नहीं इस जहाँ में |

तो अगली बार अगर आपको कोई गलती करता दिखे, तो उस पर पुरे जहाँ का गुस्सा उतरने की बजाय उसे या तो दूसरा मौका दे, या दूसरा काम ही दे दे | क्योंकि हर व्यक्ति, हर समय, हर काम में अच्छा हो, संभव नहीं |
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Imperfection
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Friday, December 16, 2011

मैं और संगीत


लय, ताल की ईश्वरीय दुनियाँ में रमता है मेरा मन 
संगीत से बढ़कर दुनियाँ में कुछ और नहीं. धरती पर संगीत का कोई विकल्प हो ही नहीं सकता..... शायद ही कोई हो जिसे संगीत पसंद न हो .......  निजी रुचियों और विधाओं में फर्क हो सकता है मगर संगीत से कोई घृणा नहीं कर सकता . यह सिर्फ आनंद और मज़े के लिए ही नहीं मगर एक सुखद पलायन भी है रोजाना की विडम्बना भरी जिन्दगी से जिसमें हम एक प्रकार से कैद हो चुके है..... आप भले ही कैसे भी परिवेश और मूड में क्यों न हों सुमधुर संगीत सब कुछ आसान कर देता है ..... इसका असर जादुई है और इसमें सभी जख्मों को भर देने की अद्भुत क्षमता है |
मुझ जैसे संगीत प्रेमी के लिए तो इसका नियमित रोजाना डोज जैसे जीवन की निरंतरता के लिए अपरिहार्य है | मैं बिना इसके रह पाने की कल्पना तक नहीं कर सकती | 

संगीत, लय, ताल में 
गुम हो जाती मैं |
जैसे, मनपसंद रास्ते पर , 
यूँ ही घूमा करूँ मैं |

दुनिया की तमाम हलचलों से,
मतलबी काम, भेड़ चाल से |
बचने को तरसती मैं,
संगीत में बेसुध हो,
ये सब भूल जाती मैं |

मंत्रमुग्ध, नशा सा छाया, 
नाच, गाने का मन हो आया |
अपने ही अंतस से जैसे जा मिली मैं, 
बेखबर हो बाहरी दुनिया से,
बस, आकर छिप जाती मैं |

मेरा मन गा उठे हर कभी, 
जब हूँ मैं कोई दिक्कत में,
हाँ दोस्त, बस तभी |
सारे गम भूल कर खो जाती मैं, 
अपनी ही दुनिया में रम जाती मैं |
बस पल भर में ही,
चुस्त दुरुस्त हो जाती मैं |
सब छोड़कर, जब गुनगुनाती मैं |
प्रश्न: आपके जीवन में "संगीत" के क्या मायने है ??
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All I need is Rhythm Divine 
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Friday, December 9, 2011

भीड़ में वो चेहरा


जैसे ही आप अपने घर क बहार कदम रखते है, आप बन जाते है एक भीड़ का हिस्सा | जहाँ अनगिनत अनजान लोग एक साथ घूमते है, बसों में , ट्रेन में,  रोड पर...... एक दूसरे के जीवन को बिना छुए न जाने रोज़ कितने ही लोगों से आपका आमना सामना होता है  |
जाने कितने ही ऐसे अनजाने चेहरों से आप मिलते है.... पर आज कल किसी के पास अपने व अपने जानने वालों के अलावा किसी और के बारे न तो सोचने का समय है और न ही इच्छा | 
लेकिन कभी-कभी भीड़ में कुछ ऐसे चेहरों  से सामना होता  है जिसे  भूल पाना आसन नहीं होता |


वो चेहरा, भीड़ में 
सुबकता, अकेला एक कोने में |
कुछ तो गलत हुआ था, उसके साथ |
वो आंसू पोंछते, उसके आंसू भरे हाथ | 
बहुत अजीब था, वो सब देखना 
उससे भी ज्यादा अजीब था, 
उसका यूँ इस तरह, इतना अकेला होना |

उस चेहरे ने मुझे सोचने पर मजबूर किया 
उसका ऐसा बुरा हाल, आखिर ऐसे कैसे हुआ |
वो इस भीड़ में, यूँ अकेला खड़ा, 
जैसे किसी कोने में हो
एक अनचाहा पत्थर पड़ा |


उस चेहरे ने कह डाली, 
उसके पूरे जीवन की कहानी |
जैसे हो एक तस्वीर, 
अनंत कष्ट और परेशानी  |
कौन जाने ??
अभी और क्या-क्या सहना हो,
इन आंसुओं को कब तक ओर बहना हो |

अगले ही पल, में चल पड़ी 
अपनी मंजिल की ओर |
वही रोज़ का काम, 
रोज़ का शोर |
नियमित कामों की दैनिक खुराक, 
मेरी प्रतिष्ठा बनी रहे, 
यही कोशिश, यही फ़िराक |

आज भी, जब में नज़र घुमाती हूं 
अपने चारों ओर, 
ऐसे कितने ही चेहरे पाती हूँ |
अलग कहानी, अलग आधार,
पर वो लगे मुझे, जैसे वो हों सिर्फ
एक ही चीज़ के अनेक प्रकार |
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Face in the Crowd 
http://jyotimi.blogspot.com/2011/12/face-in-crowd.html
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