हम सबकी अपनी राय व भिन्न विचार होते है | दुनिया में ऐसी कोई भी चीज़ नहीं जिसके बारे में हमारी कुछ राय न हों | फिर चाहे हमें उसके बारे में कुछ पता हो या नहीं, लेकिन उस विषय पर हमारी खुद की ख़ास राय अवश्य तैयार रहती है |
चौंकिए मत यह सत्य है | चलिए में कुछ विषय चुनती हूँ और आप देखिये कैसे तुरंत आपके मष्तिष्क में विचारों की गाडी दौड़ेगी ........... जलवायु, कानून, नीतियां, सरकार, समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य, अपराध, शिष्टाचार, धर्म, जाति.... देखा हर चीज़ के बारे में आपके पास कुछ न कुछ कहने को ज़रूर होगा |
हमारी अपनी राय, विचार व अभिव्यक्तियाँ हमारे जीवन में कितना महत्व रखती है, इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है की हमारे संविधान में हमें "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता" मौलिक अधिकार की तरह प्राप्त है |न्याय-पालिका, जो की हमारी सरकार का तीसरा स्तम्भ है, सिवाय कानून की व्याख्या ( वकीलों व न्यायाधीशों की राय) ही तो है |
तात्पर्य यह है के हम सभी लोग भिन्न विचारों व मतों के एकाधिक बादलों अर्थात विचारों के मायाजाल में घिरे हुए हैं | ये हमारे चारों तरफ है, और में यह सोचने पर मजबूर हूँ कि किस प्रकार ये "विचार", "राय ", "सुझाव" व भिन्न "मत" हमारे मन-मष्तिष्क को प्रभावित करते है, और तो और किस हद तक हमारे कार्यों व गतिविधियों को बदलने की ताकत करते है |
एक और बात यहाँ सामने लाना चाहूंगी की किस तरह कभी कभी हम दूसरों के विचारों व सुझावों के प्रभाव में आकर अपनी एक प्रकार की पक्षपाती राय बना लेते है, और
किस प्रकार बिना सोचे- समझे दूसरों पर अपनी राय थोपने का भी प्रयास करते है |
क्या "राय", "विचार" जैसी चीज़ें
महत्व रखती है ??
बिलकुल रखती है |
तभी तो, कभी-कभी
न चाहते हुए भी
सुननी व सहनी पड़ती है |
ध्यान रहे
ध्यान रहे
ये है बड़ी ज़रूरी |
लाये जीवन में नयापन व खुशहाली |
जैसे होती किसी बीमार के लिए
उसकी दवाई व गोली |
सम्पादकीय, पत्रिकाएँ
पुस्तकें व पत्रकार |
ये है चहुँ और,
हर एक से है इसका सरोकार |
कोई नहीं सकता इसे नकार |
कुछ होती है हमारे समझ के परे
पर "होशियार" हम जो ठहरे |
मारे आदत के,
ये कभी नहीं मान सकते हम |
की हमें नहीं आता ये,
ज्ञान हमें थोडा सा कम |
1 नंबर के विचारक है हम,
नहीं है किसी मशीन से कम |
बनाते है, संसाधित करते है,
भिन्न विचारों व सुझावों को |
करते है हम रोज़, करते रहेंगे हर दम |
सम्पादकीय, पत्रिकाएँ
पुस्तकें व पत्रकार |
ये है चहुँ और,
हर एक से है इसका सरोकार |
कोई नहीं सकता इसे नकार |
कुछ होती है हमारे समझ के परे
पर "होशियार" हम जो ठहरे |
मारे आदत के,
ये कभी नहीं मान सकते हम |
की हमें नहीं आता ये,
ज्ञान हमें थोडा सा कम |
1 नंबर के विचारक है हम,
नहीं है किसी मशीन से कम |
बनाते है, संसाधित करते है,
भिन्न विचारों व सुझावों को |
करते है हम रोज़, करते रहेंगे हर दम |
तो आप बताएं कैसी लगी आपको मेरी " राय " और यह विचारों का मायाजाल |
आप क्या सोचते है कि, किस प्रकार आपका जीवन इन भिन्न सुझावों व विचारों से प्रभावित होता है !!

बिलकुल सही और विचार ही हमे कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं।
ReplyDeleteआप बहुत कमाल का लिखती हैं।
सादर
हमारी राय और हमारे विचार तब महत्व पाते हैं यदि दूसरा उसे सुन ले और मान ले. लेकिन हम अपनी राय रखते हैं यह हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है. बढ़िया रचना.
ReplyDeletebahut hi achhi lagi
ReplyDeleteविचारों का मायाजाल बड़ा ही जटिल है, उलझा देता है।
ReplyDeleteमुझे तो बहुत अच्छी लगी आपकी 'राय' और विचारों का मायाजाल.
ReplyDeleteविचार करने की क्षमता हमें ईश्वर से प्रदान अनमोल उपहार है.
जिससे हम स्वयं को 'सत्-चित-आनंद'प्राप्ति की और उन्मुख कर सैदेव आनंद की स्थिति में रह सकते हैं. या अपनी अधोगति कर सर्वत्र अशांति, कलह अवसाद आदि भी उत्पन्न कर सकते हैं.
सुर और असुर के लिए मेरी पोस्ट 'ऐसी वाणी बोलिए' देखिएगा,ज्योति जी.
अब आप ही बताईये हमे विचारों द्वारा किस ध्येय की प्राप्ति के लिए यत्न करना चाहिये.क्यूंकि हम सभी विचार करने के लिए ईश्वर की और से स्वतंत्र हैं.
विचारों का मायाजाल दिमाग की उपज होता है । दिमाग तो मनुष्य को स्वार्थ की ओर ले जाता है । लेकिन दिल की सुनिए , यह कभी धोखा नहीं देगा ।
ReplyDeleteyou are just unbelievable, great great feel to discover you Jyoti....
ReplyDeleteUr talent of writing in both Hindi n English both with same comfort and expertise....Fantastic
superb work...
Keep writing n blogging...
thoda sikhana suru karo ab jara...?
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
विचारों का मायाजाल -संभ्रमित करता रहता और सत्य संधान से भटकाता रहता है!\विचार ही क्यों यह पूरा जीवन ही मायाजाल है !
ReplyDeleteJyoti,
ReplyDeleteSAHI KAHAA AAPNE.
Take care
क्या "राय", "विचार" जैसी चीज़ें
ReplyDeleteमहत्व रखती है ??
बिलकुल रखती है |
तभी तो, कभी-कभी
न चाहते हुए भी
सुननी व सहनी पड़ती है |प्रभावशाली अभिवयक्ति....
मनुष्य के पास चिंतन और अभिव्यक्ति दोनों की उन्नत क्षमता है तो फिर अपनी राय ज़ाहिर करने से कैसे बचे भला।
ReplyDeleteसार्थक, सामयिक, सराहनीय , आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने...
ReplyDeleteअर्थ पूर्ण अभी व्यक्ति ...
ReplyDeleteपढ़ते पढ़ते विचार सामानांतर दौड़तें हैं .विचार की लीला अपरम्पार है .
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