Friday, September 16, 2011

एक गोपन समाज



भारत अच्छे बुरे कई कारणों से चर्चा में रहता है ...उन  कारणों की एक लम्बी सूची प्रदर्शित की जा सकती है जिनमें से मैं एक चुनना चाहती हूँ भारत के राजमार्ग परिवहन विभाग का कहना है कि यहाँ   सड़कों की दुर्घटनाएं अब चीन को भी मात करने लगी हैं ..हम दुर्भाग्य से इस समय सड़क दुर्घटनाओं में विश्व में टाप पर हैं ..अफ़सोस, यह भी कोई गर्व की बात है ? मगर दोषी कौन? 
सरकार को छोडिये हर मामले में उस पर ही दोष देने के बजाय यहाँ असली दोषी को ढूंढते हैं जो कोई और है ......

केवल मनुष्य ही नहीं, ड्राइवरों की
एक और नस्ल रहती है इसी दुनिया में
जिनका है एक गोपन वजूद ...
वे अनजाने ही परिवहन के सभी नियमों को
धता बताते रहते हैं .धकियाते रहते हैं
वे बनाते हैं निस दिन आत्मक्षय के मास्टर प्लान
मगर खुद बच जाते हैं हैरतंगेज तरीके से|

पार कर जाते हैं व्यस्त चौराहे और लाल बत्तियां
पीछे छोड़ते ट्रकों और वाहनों की कतारों को
यमदूतों की तरह ,
छोड़ते जाते दुर्घटनाओं और दुर्गतियों की
की एक अंतहीन कतार
जबकि खुद तो हैं मुकद्दर के सिकन्दर
बचते जाते हैं हर बार|

और जो आम जन बच जाते हैं ऐसे
चालकों के होते हुए भी नित्य प्रति
वह है ईश्वर का ही कोई चमत्कार
ऐसे ड्राइवरों की नस्ल
बेख़ौफ़ बेपरवाह ट्रैफिक नियमों से
विध्वंस और मौतों को ही देती पैगाम
उन्हें मौत और जख्म ही सुहाते हैं
घोर नास्तिकों के दिल में भी
वे गजब हैं कर जाते हैं
ईश्वर के प्रति भय का संचार |

होकर नशे में चूर
करें वो हुडदंग जरूर
कभी भी किसी एक लेन में चलने को वे
नहीं हैं मजबूर ऐसा करना समझते हैं वे अपनी हेठी
एक साथ ही कई लेनों में लहराए जाते हैं
अपने परचम ,
किसी को भी नहीं बढ़ने देते अपने आगे
कर जाते हैं बेदम|

बेख़ौफ़ हौसला बुलंद इन ड्राईवरों का
छाया हुआ है आतंक
वे हैं इतने कुशल कि संभालते हैं
अपने वाहनों को बस एक ही सधे हाथ से ...
पार्क करते मौत के वाहनों को लबे रोड
पीछे के वाहनों की कतारों का
उन पर नहीं पड़ता कोई फर्क
हार्नों की चिग्घाड़ से बेखबर वे
अगर उनके दीगर हम आप जैसों का
तनिक भी हटा ध्यान
या पकड हुयी ढीली वाहनों पर तो फिर है
वापस न लौट पाने का फरमान
और जीवन का आखिरी पड़ाव ...

एक सन्देश उन आम चालकों के नाम
जो जीवन यापन को आते जाते हैं
इन अभिशप्त सड़कों पर हर रोज ..
आप न बनिए सदस्य इस ड्राईवर नस्ल की
आप को नहीं मिलने वाला है सम्मान एक हीरो का
गर बच भी जाते हैं मौत के इस रास्ते पर मेहरबान
मत अपनाईये एक पागल नस्ल का रास्ता

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11 comments:

  1. सही कहा बेतरतीबी से वाहन चलाना न सिर्फ खुद के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए बेहतर है कि यातायात के नियमों के दायरे मे ही वाहन चलाया जाए और यही बात पैदल चलने वालों के संदर्भ मे भी लागू होती है।

    बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने।

    सादर

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  2. आपका प्रेक्षण सटीक है ..समाज का कोई एक घटक आप चुनती हैं और उस पर अपनी बेहतरीन काव्यात्मक कमेंट्री करती हैं -वाह, शाबाश!

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  3. बहुत सार्थक और सचेत करती हुई प्रस्तुति है आपकी.
    आपने यातायात की समस्या व ट्रेफिक नियमों के उल्लंघन करने
    वालों का यथार्थ चित्र खिंचा है.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  4. स्वयं को ताकतवर समझने लगते हैं, मोटरसाईकिल में बैठकर।

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  5. ऐसे ही मह्नुभावों को देखकर मैं कहता हूँ कि ऐसे चला रहे हैं जैसे इस धरती पर जिन्दा रहकर एहसान कर रहे हों.
    चीन में हाल ही में एक जर्नल के सुपुत्र को ऐसे ही एक मामले में सजा दी गई और उसके पिता ने क्षमा भी मांगी. मगर यहाँ.....

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  6. Heart touching composition with full of reality...

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  7. सही कहा आपने . सटीक पर्यवेक्षण . आभार .

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  8. सड़क बोध से अनजान लोग ,करतें हैं अभिमान लोग ,ले इनका संज्ञान जोग !बहुत अच्छी समाज सापेक्ष साख्सी भाव से लिखी गई लम्बी रचना ,तारतम्य सज्जित ,....
    Tuesday, September 20, 2011
    महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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