गुस्सा ,चिडचिडापन,निराशा और खराब मूड ..जो नाम दें आप इसे.... ये सभी एक
बड़ी छुआछूत की बीमारी के अलग अलग नाम हैं ..इनका एक हल्का सा प्रभाव भी एक
बड़ी घटना को अंजाम दे जाता है ..खुशियों के माहौल को चौपट कर जाता है ..
इस बीमारी से दूर रहें!
आप इस बीमारी के लक्षण कहीं भी देख सकते
हैं ..कोई भी एक खराब मूड और जुबान का आदमी इसकी गिरफ्त में आ सकता है और
फिर होता है माहौल का खराब होना शुरू ...
बिना सोचे मुंह से अपशब्द निकालने ,बोलने वाले लोग आज बहुतेरे हैं और जब ऐसा होता है तो..
फिर आप जानते ही हैं ...होती है बौछार कुछ ऐसी ..$##& ##$$...
उस आदमी को देखो
वह जहर उगलता आदमी
माहौल को ख़राब करता
वो गुस्सेल चिढ चिढ़ा आदमी
यह हमेशा ऐसा ही
रहा है करता
नहीं छोड़ सकता वह
यह गंदी आदत
बल्कि और भी बढाता रहा है
अपनी इस बुरी आदत को ...
अपने चिढ़े जले भुने चेहरे के साथ
नहीं छोड़ सकता यह
गंदी आदत, भले ही
इसका खुद का अंत न हो जाय |
यह बीमारी
है अनचाही फैलने, बढ़ने वाली
न हो इसका खुद का अपना
भले ही कोई मकसद
मगर इसके मरीजों का मकसद है
परिवेश को दूषित कर जाने का
लोगों के सुख चैन को छीन लेने का |
यह अपने आश्रित को है
धीरे धीरे ख़तम करती जाती
प्राण घातक है बनती जाती
अगर समय रहते नहीं हो पाया
इस बीमारी का निदान
तो यह बन जाती है विषाणु -रोग
से भी अधिक खतरनाक
इसलिए सावधान!
इसकी जड़ कहीं और नहीं
बस आपमें ही है
समय रहते इसे ढूंढ, भगाईये
इसे दूर, नहीं तो
आपको भी चपेट में लेते
नहीं लगेगी देर इसको ..
मुझे तो यही सबसे कारगर उपाय लगता है इस बीमारी के रोकथाम का ..
हम इसे महामारी बनते तो नहीं देख सकते|
मनुष्य की एक नकारात्मक आदत पर उसे आगाह करती प्रभावपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteसच में छुआछूत की बीमारी है यह प्रवृत्ति।
ReplyDeleteWaah..Sargarbhit rachna...Bahut achchha sandesh diya hai aapne.
ReplyDeleteबहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteक्रोध को पर्याप्त रूप से चित्रित करती कविता. यह है ही एक रोग जिसे नियंत्रण में रखना ज़रूरी है.
ReplyDeleteगुस्सा आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.
ReplyDeleteहाँ,इन्सान की प्रवृत्ति गुस्सेपन की नहीं होनी चाहिए.
यकीनन इस महामारी से बचना ही होगा
ReplyDeleteसही कहा आपने कि यह बीमारी अपने आश्रित को ही खत्म करती जाती है. महत्वपूर्ण पोस्ट.
ReplyDeleteकितनी सरलता से कही गई बड़ी बात.वाह.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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सार्थक कथन, धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत खूब ज्योति !सब को सावधान करती हुई पोस्ट .सानंद रहो .
ReplyDeleteise kahte hain sukshmta
ReplyDeleteआपकी कविता सुन्दर विचारोत्तेजक है.
ReplyDeleteसमय रहते ही चेतना चाहिये.
ज्योति. ज्ञान की अखण्ड ज्योत सदा ही जगाती रहें आप,
बस यही दुआ और कामना है.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुन्दर. बहुत अच्छा लगा यह देख कर की दोनों भाषाओँ में सामान अभिव्यक्ति हुई है.
ReplyDeleteप्रभावपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई
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ReplyDeleteIn a Hindi saying, If people call you stupid, they will say, does not open your mouth and prove it. But several people who make extraordinary efforts to prove that he is stupid.Take a look here How True