Thursday, October 13, 2011

सावधान: महामारी



गुस्सा ,चिडचिडापन,निराशा और खराब मूड ..जो नाम दें आप इसे.... ये सभी एक बड़ी छुआछूत की बीमारी के अलग अलग नाम हैं ..इनका एक हल्का सा प्रभाव भी एक बड़ी घटना को अंजाम दे जाता है ..खुशियों के माहौल को चौपट कर जाता है ..
इस बीमारी से दूर रहें! 
आप इस बीमारी के लक्षण कहीं भी देख सकते हैं ..कोई भी एक खराब  मूड और जुबान का आदमी इसकी गिरफ्त में आ सकता है और फिर होता है माहौल का खराब होना शुरू ...
बिना सोचे मुंह से अपशब्द निकालने ,बोलने वाले लोग आज बहुतेरे हैं और जब ऐसा होता है तो..
 फिर आप जानते ही हैं ...होती है बौछार कुछ ऐसी ..$##& ##$$... 
उस आदमी को देखो 
वह जहर उगलता आदमी 
माहौल को ख़राब  करता 
वो गुस्सेल चिढ चिढ़ा आदमी
यह हमेशा ऐसा ही 
रहा है करता 
नहीं छोड़ सकता वह 
यह गंदी आदत 
बल्कि और भी बढाता रहा है 
अपनी इस बुरी आदत को ...
अपने चिढ़े जले भुने चेहरे के साथ 
नहीं छोड़ सकता यह 
गंदी आदत, भले ही 
इसका खुद का अंत न हो जाय |

छुआछूत की खतरनाक
यह बीमारी 
है अनचाही फैलने, बढ़ने वाली 
न हो इसका  खुद का  अपना 
भले ही कोई मकसद 
मगर इसके मरीजों का मकसद है 
परिवेश को दूषित कर जाने का 
लोगों के सुख चैन को छीन  लेने का |

एक परजीवी की ही तरह 
यह अपने आश्रित को है 
धीरे धीरे ख़तम करती जाती 
प्राण घातक है बनती जाती 
अगर समय रहते नहीं हो पाया 
इस बीमारी का निदान 
तो यह बन जाती है विषाणु -रोग 
से भी अधिक खतरनाक 
इसलिए सावधान!
इसकी जड़ कहीं और नहीं 
बस आपमें ही है 
समय रहते इसे ढूंढ, भगाईये 
इसे दूर, नहीं तो 
 आपको भी चपेट में लेते 
नहीं लगेगी देर इसको ..

..तो दोस्तों अब यह आप पर है अपने में इस बीमारी के लक्षण ढूंढिए और खुद उपचार  कीजिये 
मुझे तो यही सबसे कारगर उपाय लगता है इस बीमारी के रोकथाम का ..
हम इसे महामारी बनते तो नहीं देख सकते|



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18 comments:

  1. मनुष्य की एक नकारात्मक आदत पर उसे आगाह करती प्रभावपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति ....

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  2. सच में छुआछूत की बीमारी है यह प्रवृत्ति।

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  3. Waah..Sargarbhit rachna...Bahut achchha sandesh diya hai aapne.

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  4. बहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  5. क्रोध को पर्याप्त रूप से चित्रित करती कविता. यह है ही एक रोग जिसे नियंत्रण में रखना ज़रूरी है.

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  6. गुस्सा आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.
    हाँ,इन्सान की प्रवृत्ति गुस्सेपन की नहीं होनी चाहिए.

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  7. यकीनन इस महामारी से बचना ही होगा

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  8. सही कहा आपने कि यह बीमारी अपने आश्रित को ही खत्म करती जाती है. महत्वपूर्ण पोस्ट.

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  9. कितनी सरलता से कही गई बड़ी बात.वाह.

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  10. बहुत बढ़िया लगा! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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  11. सार्थक कथन, धन्यवाद!

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  12. बहुत खूब ज्योति !सब को सावधान करती हुई पोस्ट .सानंद रहो .

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  13. आपकी कविता सुन्दर विचारोत्तेजक है.
    समय रहते ही चेतना चाहिये.
    ज्योति. ज्ञान की अखण्ड ज्योत सदा ही जगाती रहें आप,
    बस यही दुआ और कामना है.
    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

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  14. बहुत सुन्दर. बहुत अच्छा लगा यह देख कर की दोनों भाषाओँ में सामान अभिव्यक्ति हुई है.

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  15. प्रभावपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति ......

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  16. बहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई

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