कहते हैं मौन मन की शान्ति के साथ ही आत्म -निरीक्षण का मौका भी देता है.
ठीक है यह ,मगर हमेशा सच नहीं
क्योंकि
कुछ मौन डरावने और अनचाहे होते हैं .
जैसे टकराव और तीखे संवादों के बाद का मौन, डांटने डपटने के बाद का मौन ,युद्धोपरांत का मौन और म्रत्यु के उपरान्त का मौ न|
ये कुछ मौन आपको विदीर्ण कर डा लते हैं और जीवन तबाह हो उठता है|
इस तरह मौन के कितने ही आयाम और अभिव्यक्तियाँ हैं ...इसकी अपनी भाषा और बोल हैं जो सार्वभौमि क है और बिना किसी पूर्व अनुभव के भी समझी जाने वाली है .
कभी क भी मौन के चलते प्रगाढ़ सम्बन्ध तक टूट जाते हैं क्योकि उभय पक्ष कोई भी संवाद नहीं करते ..बस मौन रहते हैं ..
ऐसा मौन खतरनाक है और हमें ऐसे मौन से दूर दूर ही रहना चाहिए ऐसे मौन की मुखरता बस उदासी का ही सबब बनती है.
बिलकुल सन्नाटा ,एक
अनचाही मौजूदगी
सताती हुयी डरावनी सी
चरम चुप्पी
एक कैद सी अवस्था
एक संक्षिप्ति कितने ही
आयामों की ...जो खुद
कई खंडों अभिव्यक्त
होती चलती है...
और चुभती है
आमंत्रित करती है
घुटन और अप्रसन्नता
कितना चुभता है मौन
बिलकुल भी स्वागत योग्य नहीं
घिनौना सा और कितना
संतप्त करता हुआ ...
एक उत्प्रेरक और
बिना समझ में आने
वाले भावों का ....
इस मौन का बड़ा है
शब्दकोश और छिपे अनेक भाव
जो चुभते हैं नश्तर से भी तेज
परिवेश को भी करता
जंग लगाता मौन जिससे
तिल तिल कर छीजते जाते
लोगों के वजूद ..
और उनकी चेतना
यह अँधा करती है और विचारों
को करती चलती है कुंद ....
इसमें कोई शक नहीं
सभी मौन बुरे नहीं मगर ऊपर वर् णित
मौन आपकी सेहत के लिए बुरा है . ..
पुनश्च: किसी भी गलतफहमी और दुः ख भरे तनाव के लिए मौन कभी भी हल नहीं है एक समस्या ही है .. .आगे बढिए बात कीजिए ...पुकारिए कि लगे अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ ....अभी भी आस बाकी है...
मौ न के बोल कभी भी मीठे फल नहीं देते .....
_____________________________________________
Speech of Silence
http://jyotimi.blogspot.com/2011/10/speech-of-silence.html
_______________________________________________
_____________________________________________
Speech of Silence
http://jyotimi.blogspot.com/2011/10/speech-of-silence.html
_______________________________________________
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसार्थक अभिवयक्ति.... मौन की.....
ReplyDeleteमौन बहा शब्दों के पार...
ReplyDeleteकितना चुभता है मौन
ReplyDeleteबिलकुल भी स्वागत योग्य नहीं
घिनौना सा और कितना
संतप्त करता हुआ ...
एक उत्प्रेरक और
बिना समझ में आने
वाले भावों का ....
..............मौन के बोल कभी भी मीठे फल नहीं देते ...
thos bhaw
इस मौन का बड़ा है
ReplyDeleteशब्दकोश और छिपे अनेक भाव
जो चुभते हैं नश्तर से भी तेज
सही कहा आपने।
सादर
चुभती चुप्पी, बोलता मौन, तुसी कमाल करती हो :)
ReplyDeleteअद्भुत!
मन के बोल तो मीठे फल नहीं ही देते, मगर कभी-कभी मौन का टूटना निष्फल होने से काल्पनिक संभावनाएं भी तोड़ देता है.
ReplyDeleteआपकी कविता से सहमत, हालांकि कुछ हालिया अनुभव भी आँखों से गुजर गए.....
अद्भुत अहसासों भरी सुन्दर रचना....
ReplyDeleteआजकल मौन के ऐसे ही अनुभव से गुज़र रहा हूँ इसलिए यह कविता बहुत ही भल तरीके से संप्रेषित हुई है. इस कविता के लिए गहरा धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव एवं शब्द संयोजन ....लाजबाब ..
ReplyDeleteसमर्थन करता हूँ इस पोस्ट का हालाकि कई ऐसी स्थितियों से गुजरा हूँ ,रहता हूँ उनके साथ जिनके साथ संवाद की गुंजाइश नहीं रहती है .कनेक्टिविटी जिनके साथ जीरो है उन्हीं के साथ रहना है ,वही हमारे हीरो हैं .हमारी विवशता है .
ReplyDeleteअब तो हो गया हूँ मैं भी.....मौन.....दरअसल आपने बहुत ही सारगर्भित लिखा है....सच...!!
ReplyDeleteBEHTAR ABHIVAYAKTi
ReplyDeleteमौन पर बहुत मुखरित हो कर लिखा है आपने.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
बधाई आपको.
हर मौन के मायने अलग होते हैं.
और हर व्यक्ति का,हर परिस्तिथि का मौन अलग होता है.
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteअति का भला न बोलना, अति की भली न चूप ...
कहते हैं मौन मन की शान्ति के साथ ही आत्म -निरीक्षण का मौका भी देता है.
ReplyDeleteजो मौन आत्म-निरक्षण का मौका देता है वह वास्तव में मनन है,
सार्थक चिंतन है.
अन्य सभी मौन जिन का आपने अपनी कविता में जिक्र किया है,
मौन न होकर आंतरिक विकार हैं,जो नकारात्मकता का पोषण करने
वाले हैं.
आपकी अभिव्यक्ति सुन्दर,सार्थक और विचारणीय है ,जो गहन विचार अभिव्यक्त करती है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार ज्योति j..i.
इस उम्र में ही कमाल का चिंतन है आपका.
विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.
very nice thought
ReplyDeletenice nice nice.....
apki poem ne to mujhe sach me maun
kar diya, itna sundar likhti hai aap..
मौन के बोल कभी मीठे फल नहीं देते सचमुच सार्थक रचना हैं आपकी बधाई हो आपको ज्योति जी
ReplyDeleteआप सभी को दीपोत्सव(दीपावली) की अग्रिम शुभकामनाएं....
सभी मित्रों से अनुरोध है की अब मेरा ब्लाग फेसबुक पर भी है कृपया जरुर अनुसरण करे अगर आपको मेरा ब्लाग पसंद हो तो जरुर लाइक करें(फालो मी)लिंक नीचे है
मित्र-मधुर परिवार
MADHUR VAANI
MITRA-MADHUR
छोटी सी उम्र में इतनी गहरी बात करती हो ज्योति !
ReplyDeleteबेहतरीन विचार ।
शाबास ।
मौन .. न न मौन नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
बहुत सही कहा आपने....
ReplyDeleteऐसे मौन दमघोंटू हुआ करते हैं...
विचारणीय पोस्ट .....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
सहमत हूँ ...मौन किसी भी समस्या का हल हो ही नहीं सकता ,इसलिये मौन को मुखरित होना चाहिये ,अच्छा लिखा है .... शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने आभार ज्योति जी
ReplyDelete