Sunday, September 25, 2011

अन्धविश्वास ..

मैं  चकित हो उठती हूँ सोच
आखिर वह कौन सी शक्ति है 
जो  अविवेकी बातों  पर विश्वास 
करने का कारण बनती है|
दिलाती है एह्साह 
और तुम उससे कोई
 प्रेरणा पाकर 
 जुट जाते हो ....साहस जुटाते हो 
नियति को भी बदल देते हो
जाते हो उद्यत ....
गुत्थियों को हल करते जाते हो ,
कौन जाने यह अतार्किक है
या फिर सोचा समझा उपक्रम 
यह तो एक रहस्य ..
पर हम सब करते है
एक विश्वाश
किसी न किसी पर
एक अनोखा, अजीब
जिसे हम शायद कह सकते है
अँधा विश्वाश |
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Blind Faith
http://jyotimi.blogspot.com/2011/09/blind-faith.html
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Friday, September 16, 2011

एक गोपन समाज



भारत अच्छे बुरे कई कारणों से चर्चा में रहता है ...उन  कारणों की एक लम्बी सूची प्रदर्शित की जा सकती है जिनमें से मैं एक चुनना चाहती हूँ भारत के राजमार्ग परिवहन विभाग का कहना है कि यहाँ   सड़कों की दुर्घटनाएं अब चीन को भी मात करने लगी हैं ..हम दुर्भाग्य से इस समय सड़क दुर्घटनाओं में विश्व में टाप पर हैं ..अफ़सोस, यह भी कोई गर्व की बात है ? मगर दोषी कौन? 
सरकार को छोडिये हर मामले में उस पर ही दोष देने के बजाय यहाँ असली दोषी को ढूंढते हैं जो कोई और है ......

केवल मनुष्य ही नहीं, ड्राइवरों की
एक और नस्ल रहती है इसी दुनिया में
जिनका है एक गोपन वजूद ...
वे अनजाने ही परिवहन के सभी नियमों को
धता बताते रहते हैं .धकियाते रहते हैं
वे बनाते हैं निस दिन आत्मक्षय के मास्टर प्लान
मगर खुद बच जाते हैं हैरतंगेज तरीके से|

पार कर जाते हैं व्यस्त चौराहे और लाल बत्तियां
पीछे छोड़ते ट्रकों और वाहनों की कतारों को
यमदूतों की तरह ,
छोड़ते जाते दुर्घटनाओं और दुर्गतियों की
की एक अंतहीन कतार
जबकि खुद तो हैं मुकद्दर के सिकन्दर
बचते जाते हैं हर बार|

और जो आम जन बच जाते हैं ऐसे
चालकों के होते हुए भी नित्य प्रति
वह है ईश्वर का ही कोई चमत्कार
ऐसे ड्राइवरों की नस्ल
बेख़ौफ़ बेपरवाह ट्रैफिक नियमों से
विध्वंस और मौतों को ही देती पैगाम
उन्हें मौत और जख्म ही सुहाते हैं
घोर नास्तिकों के दिल में भी
वे गजब हैं कर जाते हैं
ईश्वर के प्रति भय का संचार |

होकर नशे में चूर
करें वो हुडदंग जरूर
कभी भी किसी एक लेन में चलने को वे
नहीं हैं मजबूर ऐसा करना समझते हैं वे अपनी हेठी
एक साथ ही कई लेनों में लहराए जाते हैं
अपने परचम ,
किसी को भी नहीं बढ़ने देते अपने आगे
कर जाते हैं बेदम|

बेख़ौफ़ हौसला बुलंद इन ड्राईवरों का
छाया हुआ है आतंक
वे हैं इतने कुशल कि संभालते हैं
अपने वाहनों को बस एक ही सधे हाथ से ...
पार्क करते मौत के वाहनों को लबे रोड
पीछे के वाहनों की कतारों का
उन पर नहीं पड़ता कोई फर्क
हार्नों की चिग्घाड़ से बेखबर वे
अगर उनके दीगर हम आप जैसों का
तनिक भी हटा ध्यान
या पकड हुयी ढीली वाहनों पर तो फिर है
वापस न लौट पाने का फरमान
और जीवन का आखिरी पड़ाव ...

एक सन्देश उन आम चालकों के नाम
जो जीवन यापन को आते जाते हैं
इन अभिशप्त सड़कों पर हर रोज ..
आप न बनिए सदस्य इस ड्राईवर नस्ल की
आप को नहीं मिलने वाला है सम्मान एक हीरो का
गर बच भी जाते हैं मौत के इस रास्ते पर मेहरबान
मत अपनाईये एक पागल नस्ल का रास्ता

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