Tuesday, July 12, 2011

असामान्य ...

वे  सहज हो बतियाते नहीं हैं 
और न ही सहजता से चल पाते हैं
अजीबोगरीब विचार हैं उनके 
सहजता से जैसे रह गए हों अछूते|

ऐसे दिमाग होते हैं खब्ती भी 
करते हैं निर्देशों का  धीमा पालन 
मगर होती हैं इनकी निष्कलंक मुस्कान 
आमंत्रित करती हो जैसे सिर्फ प्यार
और प्यार भरा आलिंगन |

एक निष्कपट  सा बच्चा जैसे 
इनके दिलों में धडकता ....
हमेशा खिलखिलाता  और महकता.. 
अपनी दुनिया में औरों से परे 
होते हैं ये बड़े मेधावी
और अतुल्य कौशल से भरे 

ये सारे गुण दिखते हैं
इनमें सहजता से ..
बिलकुल नहीं दिखते
विकारग्रस्त 
संदेहपूर्ण और असामान्य से ..
 सच्चाई तो यह है कि-
हम रोजाना दिखावा करते  है 
बहुत ही सहज और सामान्य 
चतुर, चालाक अथाह अद्भुत दिखने का 


मगर सब होते है उतने ही 
असहज व असामान्य 
बहुत कुछ परे उस स्थिति से 
जिसे कहा जा सके 
पूर्णतया सहज और सामान्य?
मुझे लगता है के आज २१वी सदी में  वे लोग जो मानसिक या शारीरिक रूप से सामान्य नहीं है वे ज्यादा सामान्य व सहज व्यवहार करते नज़र आते है |  
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31 comments:

  1. कम से कम वो दिखावा तो नहीं करते ... जो हैं उसे ही दिखा देते हैं हूबहू ... संवेदनशील रचना है ...

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  2. बहुत संवेदनशील और दिलको छू लेने वाली अभिव्यक्ति.



    सादर

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  3. सुंदर और सराहनीय कविता बधाई और शुभकामनायें ज्योति |

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  4. sach me ham samanya log jayda mansik rup se vikrit najar aate hain, iss duniya me..!!
    bahut bahut badhai iss pyare rachna ke liye...
    kabhi hamare blog pe aayen......

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  5. ज्योति जी,यूँ ही अपने निर्मल ज्ञान के प्रकाश से रोशन करती रहिएगा
    हम सब के हृदय.
    अनुपम संवेदनशील प्रस्तुति के लिए बधाई.

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  6. मनुष्य के व्यवहार के द्वैध और द्वंद्व को अच्छा उकेरा है आपने

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  7. How does a newborn get to 16 pounds?

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  8. सच्चाई को बयाँ करती हुई रचना आभार

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  9. संवेदनशील प्रस्तुति ,बधाई

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  10. सहमत हूँ आपके विचारों से.

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  11. नितान्त अलग भावभूमि पर सुन्दर कविता के लिए बधाई...

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  12. मगर सब होते है उतने ही
    असहज व असामान्य
    बहुत कुछ परे उस स्थिति से
    जिसे कहा जा सके
    पूर्णतया सहज और सामान्य?

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  13. एक असामान्य से विषय पर आपने असाधरण कविता लिखी है। बधाई स्वीकारें।

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  14. मगर होती हैं इनकी निष्कलंक मुस्कान
    आमंत्रित करती हो जैसे सिर्फ प्यार
    और प्यार भरा आलिंगन ...

    Very touching creation !

    .

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  15. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  16. सुंदर और सराहनीय कविता

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  17. ज्योति मिश्र जी बहुत ही सुन्दर परिभाषित किया इस व्यक्तित्व को सहज और असहज ...

    अजीबोगरीब विचार हैं उनके
    सहजता से जैसे रह गए हों अछूते|

    ऐसे दिमाग होते हैं खब्ती भी
    करते हैं निर्देशों का धीमा पालन
    मगर होती हैं इनकी निष्कलंक मुस्कान
    आमंत्रित करती हो जैसे सिर्फ प्यार
    और प्यार भरा आलिंगन |


    खूबसूरत रचना -बधाई
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  18. Jyoti,

    ANUVAAD MEIN KOYI BHI TRUTI NAHIN HAI.

    Take care

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  19. जिस संवेदनशीलता से आपने सब अनुभूत किया और जिस कुशलता से उदगार को अभिव्यक्ति दी है...सर झुक गया आपके और आपकी इस रचना के सम्मुख...

    सामान्य और असामान्य का अंतर बहुत सही समझाया आपने...

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  20. बहुत संवेदनशील और दिलको छू लेने वाली अभिव्यक्ति|

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  21. संवेदनाओं को छूने में सफ़ल अभिव्यक्ति ...... शुभकामनायें !

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  22. बहुत ही सच बात कहदी है रचना में , सहज और सामान्य ही नहीं सभ्य होने का भी दिखावा करते है। अच्छी कविता है

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  23. बिल्कुल ही नये दृष्टिकोण से दो चित्र सामने रखे हैं.ऐसी रचनाधर्मिता के लिये बधाई.

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  24. मगर सब होते है उतने ही
    असहज व असामान्य
    बहुत कुछ परे उस स्थिति से
    जिसे कहा जा सके
    पूर्णतया सहज और सामान्य?
    दार्शनिक अंदाज.
    बहुत अच्छी रचना. बधाई स्वीकारें

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  25. हम से जयादा सामान्य और सहज वे होते हैं जिन्हे हम असामान्य कहते हैं । सुंदर संवेदना से भरपूर रचना ।

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  26. आपका दार्शनिक अंदाज काबिले तारीफ है...यही कहा जा सकता है..हम भी अगर बच्चे होते..तो शायद इतने विकार भी न होते।

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  27. मगर सब होते है उतने ही
    असहज व असामान्य
    बहुत कुछ परे उस स्थिति से
    जिसे कहा जा सके
    पूर्णतया सहज और सामान्य?

    Bahut hi acchhi prastuti Jyoti mishra Ji.. Pahli baar padha.. blog se baahar aane mein waqt lagaa.. Badhaai..

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  28. हरियाली तीज के शुभ अवसर पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें ..सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर

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