Wednesday, August 3, 2011

प्राथमिकताएं

वक्त के साथ चेहरे बदलती जाती हैं 
हमारी प्राथमिकताएं...
एक पिटारी भरी होती हैं वे 
जिन पर चिपकियां लगी होती हैं ..
कम, औसत और ज्यादा की 
कभी तो वे सर चढी सी आती हैं बेलगाम 

और कर जाती हैं 
सारी तमन्नाओं को जमीदोज 
और  बदलती जाती हैं हमें भी 
समय के साथ......

प्राथमिकताओं की  पिटारी होती है खाली
 जब आते हैं इस दुनियाँ में हम ....

हमारे स्नायु कोशाओं की तरह 
होती जाती हैं ये भी दिन ब्र  दिन 
 जटिल और गहन 
और हमारी मासूमियत को छीनती जाती हैं 
पल प्रतिपल ....
तब सहज हो कहाँ बचता है कुछ भी 
अपने मन का कहने और करने का 

बड़े आकर्षक   शब्द हैं 
परिवार मित्र जीवन और कैरियर 
मगर  बदल देती हैं प्राथमकिताएं 
इन सभी को समय के साथ 
आपके पल पल को बदलती जाती हैं 

ये प्राथमिकताएं!  
मगर नहीं बदल पातीं आपके 
उदात्त अनुभूतियों और भावनाओं को 
मगर मित्र याद रखना 
यह तुम्ही तो हो 
जो अपनी इन प्राथमिकताओं को
 नियत करते हो..

फिर इनके चंगुल में 
मत होने दो बर्बाद इस जीवन  को 
जीवन जो बस एकबारगी मिलता है 
केवल एक बार बस एक बार ....
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Priorities..
http://jyotimi.blogspot.com/2011/08/priorities.html
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11 comments:

  1. ऑफिशियली 'बैचलर' बनने की बधाई. आशा है आपने भी अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर ली होंगीं.

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  2. फिर इनके चंगुल में
    मत होने दो बर्बाद इस जीवन को
    जीवन जो बस एकबारगी मिलता है
    केवल एक बार बस एक बार ....

    आपके लिखे का ज़वाब नहीं.

    सादर

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  3. फिर इनके चंगुल में
    मत होने दो बर्बाद इस जीवन को
    शत पतिशत सही ....

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  4. laaazawab...jyoti ji
    sacchai ko likha hai aapne
    jannat hi loot li jalim ne

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  5. ये प्राथमिकताएं!
    मगर नहीं बदल पातीं आपके
    उदात्त अनुभूतियों और भावनाओं को
    मगर मित्र याद रखना
    यह तुम्ही तो हो
    जो अपनी इन प्राथमिकताओं को
    नियत करते हो..

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति की है आपने,ज्योति जी.
    ब्लॉग पर आते ही खूबसूरत छक्का जड़ा है आपने.

    आपसे आपकी परीक्षा के अच्छे परिणाम की अपेक्षा है.

    फुरसत मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,

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  6. भाव और कथ्य की नवीनता लिए सुन्दर प्रस्तुति!

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  7. Jyoti,

    ISKO BHI PARHA AUR DEKHA KI AAPNE BILKUL SAHI DHANG SE APNI BAAT TO BATAA DIYA.

    Take care

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  8. http://veerubhai1947.blogspot.com/
    मंगलवार, २ अगस्त २०११
    यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए
    http://sb.samwaad.com/2011/08/blog-post.h

    August 4, 2011 3:02 PM
    jyoti pl visit this post .Thanks .

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  9. बहुत गहरे भाव के साथ आपने सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  10. बहुत गहरी कविता ,,,बहुत कुछ कहती हुई .. और दिल को छूती हुई भी .. दिल से बधाई ..

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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