हर जगह हर गली हर मोड
बिना अपवाद
पसरी हुई अवैधता....
क़ानून की किताबों या फिर पावन किताबों
के किसी भी मानदंड के मुताबिक़ ....
अवैधता ही अवैधता...
फिर भी......
भाव भंगिमाओं की चुगली करते
'सब चलता है ' के इज़हार ..
न कोई पाप बोध न कोई कृतज्ञता ....
कुटिल निष्क्रियता...
मिथ्याबोध
नित प्रति बढ़ती जाती
अवैधता की अंतहीन सी लकीर
ऐसे में दर किनार होते रहते
मानवीय सत्कर्म ....
ऐसे परिदृश्य में राजनीति के विदूषकों
के हथकंडे और घटिया कारनामें ...
नहीं छटेगा यह गहराता कुँहासा
इनसे समझौते करते जाने और
सब कुछ चलता है की मनोवृत्ति से ...
खुद की भी अवैध संलिप्तताओं से ...
हर रोज कोई न कोई नया बखेड़ा
स्थितियों को और बिगाड़ता
फिजां को बर्बाद करता ....
और भी भ्रमित करता जाता
फिर भी ,लोगों में संतुष्टि की अनुभूति
आखिर किस प्रकार और कैसे ?
अरे भद्रजनों ,आँखे खोलिए ..
कुछ तो महसूस कीजिये ...
परिवेश के बिगड़ते हालात पर
तनिक तो गंभीरता से सोचिये
हमारा दिमाग अब भी साथ है हमारे
नहीं हुआ है पूरी तरह से बर्बाद ...
हम अब भी छेड़ सकते हैं जिहाद
काबू कर सकते हैं हालात को
और हो सकते हैं फिर से आबाद |
~ ज्योति मिश्रा
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Illicit
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हम अब भी छेड़ सकते हैं जिहाद
ReplyDeleteकाबू कर सकते हैं हालात को
बहुत प्रेरक एवं विलक्षण रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
गज़ब रचना, विचारों का अनवरत प्रवाह शब्दों में ढल ढल यूँ ही उतरता रहे, यही ईश्वर से प्रार्थना है।
ReplyDeleteवाकई खुद की अवैध संलिप्तता भी दूर करनी होगी.
ReplyDeleteयथार्थ का सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...
ReplyDeletesatik likha hai vichar aur shabd dono acche hain...bahut accha likhte hain blog par aakar man ko accha laga...
ReplyDeleteअरे भद्रजनों ,आँखे खोलिए ..
ReplyDeleteकुछ तो महसूस कीजिये ...
परिवेश के बिगड़ते हालात पर
तनिक तो गंभीरता से सोचिये
हमारा दिमाग अब भी साथ है हमारे
नहीं हुआ है पूरी तरह से बर्बाद ...
हम अब भी छेड़ सकते हैं जिहाद
काबू कर सकते हैं हालात को
और हो सकते हैं फिर से आबाद |
~ ज्योति मिश्रा आशा वादी स्वर इस राजनीतिक बियाबान में जहां न कोई राज है न कोई काज ,"अंधेर नगरी चौपट राजा ,टके सेर भाजी ,टके सेर खाजा .बहुत सशक्त रचना ,हमारे दौर की ज़रुरत है यह आशा - वादी स्वर .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Wednesday, August 10, 2011
पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?
उम्मीद का राग छेड़ती प्रस्तुति इस मोहभंग के बीच .
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Wednesday, August 10, 2011
पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?
सोमवार, ८ अगस्त २०११
What the Yuck: Can PMS change your boob size?
http://sb.samwaad.com/
...क्या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August ८
.
हर रोज कोई न कोई नया बखेड़ा
ReplyDeleteस्थितियों को और बिगाड़ता
फिजां को बर्बाद करता ....
और भी भ्रमित करता जाता
फिर भी ,लोगों में संतुष्टि की अनुभूति
आखिर किस प्रकार और कैसे ?
एक विचारणीय प्रश्न और रचना में भावों का प्रवाह बहुत सशक्तता से हुआ है ....आशा है आपका लेखन यूँ ही अनवरत जारी रहेगा ...आपका आभार
रक्त पानी हो गया है
ReplyDeleteक्या करें कैसे करें
इंसान तो बस सो गया है।
सुन्दर रचना!
भारत एक कुर्सी प्रधान देश हैं यहाँ का फलसफा है -हम भ्रष्टों के भ्रष्ट हमारे .यहाँ दो किस्म के लोग हैं ,एक वो जो पहले जेल जातें हैं ,वहां से योग्यता प्राप्त कर फिर कायदे क़ानून तोड़तें हैं ,भ्रष्टाचार को पोस्तें हैं .अन्ना को अन्दर अन्दर कोसतें हैं .रामदेव इतर साधू संतों को सलवार पह्नातें हैं उनकी उपाधियाँ चेक करतें हैं .खुद ओक्स्फोर्दिया नकली डिग्री लिए घूमतें हैं ."भावी प्रधान जी ,इस देश के भगवान् जी "ऐसे ही लोग बनेगे .
ReplyDeleteदूसरे प्रकार के पहले चोरी करतें हैं ,छोटी मोटी फिर जेल जातें हैं .देश का सौभाग्य है ,ईश की अनुकम्पा है देश पहले वर्ग के लोगों के हाथ में है ,वरना चोर उचक्कों ,गैर -प्रशिक्षित ,क़ानून से खौफ खाने वाले धर्म भीरुओं की हाथ में आ जाता .ज्योति मिश्रा ,जैयती .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Wednesday, August 10, 2011
पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?
सोमवार, ८ अगस्त २०११
What the Yuck: Can PMS change your boob size?
http://sb.samwaad.com/
...क्या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August ८
बहुत अच्छा काम कर रहें हैं आप .बधाई .
कमाल का लिखा है!!
ReplyDeleteज्योति आपकी तवज्जो के लिए सूचनार्थ भेज रहा हूँ .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
Jyoti,
ReplyDeleteJAB TAK HUM IS CHALTAA HAI ATTITUDE SE NIKLEINGE NAHIN TAB TAK HUM AAGE NAHIN BARH SAKTE.
Take care
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
ReplyDeleteसच है आपका कहना ... अभी भी कुछ नहीं दिग्दा संभाला जा सकता है ... कहीं देर न हो जाए ...
ReplyDeleteमेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...