आज की इस आप धापी भरे जीवन में और हर चीज़ में सबसे आगे रहने की होड़ में हम सब को परफेक्शन की लत लग चुकी है | गलतियाँ व छोटी छोटी त्रुटियाँ हमें बर्दाश्त नहीं होती |
एसा क्यों ?? हम ऐसे क्यों बनते जा रहे है ? क्यों हम लोगों की छोटी गलतियों को नज़र अंदाज नहीं कर पाते? आप अपने घर में या आफ़िस में लोगों या कर्मचारियों द्वारा की गयी ज़रा सी भूल का ऐसा तमाशा बनाते है की जैसे कुछ अति भयानक हो गया हो ||
हमारी सहन करने, और माफ़ करने की क्षमता को भगवान जाने क्या हो गया है ?
जिस प्रकार हर लिखा शब्द
कहानी या गाना नहीं होता
ठीक उसी प्रकार,
कुछ काम का न आना
कोई पाप, या खोट
का ठिकाना नहीं होता |
क्यों पड़े हम इस
सर्वदा-पूर्णता के कुचक्र में |
विशुध्ता, के दुष्चक्र में |
क्यों नहीं झेल पाते
हम ज़रा सी गलती को ?
क्या हो गया हमारी,
मानवता की भावना को ?
थोडा सा दोष कुछ
बुरा नहीं होता |
एसा इन्सान कोई हैवान नहीं होता |
सब में कोई न कोई दोष |
फिर क्यों ये बवाल
और कैसा ये रोष ??
चलो उठ जाये ऊपर दोषारोपण और
दोष की भावनाओं से |
क्यों न थोडा मज़ा ले,
दोषयुक्त जीवन का |
सुधार नाम की चीज़ भी होती है
इस दुनिया में,
कोई भी पूर्ण रूप से परिपूर्ण नहीं इस जहाँ में |
तो अगली बार अगर आपको कोई गलती करता दिखे, तो उस पर पुरे जहाँ का गुस्सा उतरने की बजाय उसे या तो दूसरा मौका दे, या दूसरा काम ही दे दे | क्योंकि हर व्यक्ति, हर समय, हर काम में अच्छा हो, संभव नहीं |
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Imperfection
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जिस प्रकार हर लिखा शब्द
ReplyDeleteकहानी या गाना नहीं होता
ठीक उसी प्रकार,
कुछ काम का न आना
कोई पाप, या खोट
का ठिकाना नहीं होता
Great! I agree!
अपने दोष की सहज स्वीकृति ईश्वरीयता की और उठा एक कदम है और दूसरे के दोष को क्षमा कर देना खुद ईश्वरीय हो जाना है -
ReplyDeleteकवि का इस भावना का अहसास करा देना उसकी अमर वाणी है ! सुन्दर भाव और कविता के लिए आह्लादित आशीष!
बहुत सुंदर बात कही आपने।
ReplyDeleteबधाई।
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आपका स्वागत है..
.....जूते की पुकार।
चलो उठ जाये ऊपर दोषारोपण और
ReplyDeleteदोष की भावनाओं से |
क्यों न थोडा मज़ा ले,
दोषयुक्त जीवन का |===मरना तो सबको है , जी के भी देख ले , चाहत का एक जाम पी के भी देख ले
दोष में रोष क्यों,
ReplyDeleteयह असन्तोष क्यों,
great :) mere saath hmesha aisa hota hia hmesha koi na koi galti hoti hai hehehehe
ReplyDeleteजिस प्रकार हर लिखा शब्द
ReplyDeleteकहानी या गाना नहीं होता
ठीक उसी प्रकार,
कुछ काम का न आना
कोई पाप, या खोट
का ठिकाना नहीं होता |.बेजोड़ भावाभियक्ति....
अपूर्ण सृष्टि में हमें अपूर्णता के साथ जीना आना चाहिए. बहुत सुंदर लिखा है.
ReplyDeleteसही कहा । कोई भी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता । न ही दोषमुक्त ।
ReplyDeleteभावनाओं व संवेदनाओं में संतुलन ज़रूरी होता है ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट लिए काव्यान्जलि..: महत्व .. में click करे
बहुत सुन्दर रचना...बधाई..
ReplyDeleteनीरज
सुंदर शब्दावली , प्रेरणादायक कविता !
ReplyDeleteछिद्रान्वेषण और दोषारोपण सचमुच हमारे चरित्र का हिस्सा बन रहे है..... थोड़ा lightly लेना चाहिए...
ReplyDeleteअच्छे विचार !
चलो उठ जाये ऊपर दोषारोपण और
ReplyDeleteदोष की भावनाओं से |
क्यों न थोडा मज़ा ले,
दोषयुक्त जीवन का |true......
"जिस प्रकार हर लिखा शब्द
ReplyDeleteकहानी या गाना नहीं होता
ठीक उसी प्रकार,
कुछ काम का न आना
कोई पाप, या खोट
का ठिकाना नहीं होता |".....Rightly said...people are getting more n more used to perfection these days..scope for our own mistakes as well as of others is shrinking...
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थोडा सा दोष कुछ
ReplyDeleteबुरा नहीं होता |
एसा इन्सान कोई हैवान नहीं होता |
सब में कोई न कोई दोष |
फिर क्यों ये बवाल
और कैसा ये रोष ??
जैसा कि आपने अंतिम पंक्तियों मे कहा कोई भी इंसान कभी भी दोषमुक्त हो ही नहीं सकता। हम सभी मे एक दूसरे से की नज़र मे बहुत से दोष हैं इसलिए दोषारोपण की भावना से ऊपर तो उठना ही होगा।
ज्योति जी आपके ब्लॉग पर देर से आने के लिए माफी चाहता हूँ।
सादर
ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत सही कहा आपने...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दृष्टिकोण, काश मैं इसे पूर्णतः अपना सकता ...
ReplyDeleteथोडा सा दोष कुछ
ReplyDeleteबुरा नहीं होता
.........बिलकुल सहमत हूँ !
चलो उठ जाये ऊपर दोषारोपण और
ReplyDeleteदोष की भावनाओं से |
क्यों न थोडा मज़ा ले,
दोषयुक्त जीवन का |
सुधार नाम की चीज़ भी होती है
इस दुनिया में,
कोई भी पूर्ण रूप से परिपूर्ण नहीं इस जहाँ में |
bahut sundar rachana abhar Jyoti ji. Mere Naye post pr apka swaagat hai.
"अपूर्ण सृष्टि में हमें अपूर्णता के साथ जीना आना चाहिए...."
ReplyDelete----भारत भूषण जी ...क्या स्रिष्टि अपूर्ण है ??....मेरे विचार से नहीं...
---- लेखिका का यह विचार भी पूर्ण व पूर्ण सत्य नहीं है....हमें जीना चाहिये...सहज़ रूप में ... हम जैसे हैं......न कि अपूर्णता के साथ.... अपितु पूर्णता के लिये....
heheh bahut ache apni galtiyon me daant na khane ka acha tarika hai... :p
ReplyDeletejust kidding.. nice lines.. :)
बहुत खूब ...शुभकामनायें !
ReplyDeleteथोडा सा दोष कुछ
ReplyDeleteबुरा नहीं होता |
एसा इन्सान कोई हैवान नहीं होता |
सब में कोई न कोई दोष |
फिर क्यों ये बवाल
और कैसा ये रोष ??
yh panktiyan bhi sundar lagi...abhar
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति....
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